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८: श्री १००८ चन्द्रप्रभु जी भगवान का परिचय
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| भगवान का चिन्ह |
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चन्द्रमा |
| देवगति से पूर्व भव का नाम |
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पद्मनाभ |
| कहां से आये |
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वैजयन्त |
| गर्भ कल्याण तिथि |
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चैत्र कृष्ण पंचमी |
| जन्म कल्याण की तिथि |
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पौष कृष्ण ग्यारस |
| जन्म नगरी |
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चन्द्रपुर |
| वंश |
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इक्ष्वाकु |
| पिता का नाम |
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महासेन |
| माता का नाम |
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लक्ष्मीमती |
| आयु |
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दस लाख पूर्व |
| ऊंचाई |
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एक सौ पचास धनुष |
| वर्ण |
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शुक्ल |
| वैराग्य का कारण |
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अध्रुवादी भावना |
| दीक्षा की तिथि |
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पौष कृष्ण ग्यारस |
| दीक्षा का समय |
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अपरान्ह |
| दीक्षा नगरी |
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चन्द्रपुरी |
| दीक्षा वन |
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सुवर्तक |
| दीक्षा पालकी |
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विमला |
| दीक्षा वृक्ष |
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नाग वृक्ष |
| दीक्षा समय उपवास |
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तृतीय भक्त |
| सह दीक्षित |
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एक हजार |
| प्रथम आहार नगरी |
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सोमनसपुर |
| प्रथम आहार किसने दिया |
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सोमदत्त |
| प्रथम आहार में क्या दिया |
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गौ क्षीर से बने पकवान |
| छद्मस्थकाल |
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तीन मास |
| केवल ज्ञान तिथि |
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फाल्गुन कृष्ण सप्तमी |
| केवल ज्ञान समय |
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अपरांह |
| केवल ज्ञान का स्थान |
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चन्द्रपुरी |
| केवल ज्ञान वन |
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सवार्थ वन |
| केवल ज्ञान वृक्ष |
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नाग |
| समवशरण का व्यास |
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साढ़े आठ योजन |
| समवशरण में कुल मुनियों की संख्या |
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दो लाख पचास हजार |
| समवशरण में कुल आर्यिकाओं की
संख्या |
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तीन लाख अस्सी हजार |
| कुल गणधर |
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तिरान्नवे |
| मुख्य गणधर का नाम |
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वैदर्भ |
| मुख्य आर्यिका नाम |
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वरुणा |
| कुल श्रावक |
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तीन लाख |
| कुल श्राविका |
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चार लाख इक्यान्वे हजार |
| मुख्य श्रोता |
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मघवा |
| केवल ज्ञान के पूर्व उपवास |
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बेला दो उपवास |
| कितने यतिगण सिद्ध हुए |
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दो लाख चैंतीस हजार |
| अनुबद्ध केवली की कुल संख्या |
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चौरासी |
| केवली काल का समय |
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तीन माह चैबीस पूर्व कम एक लार्ख |
| मोक्ष की तिथि |
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फाल्गुन शुक्ल सप्तमी |
| मोक्ष का समय |
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अपरांह |
| मोक्ष का स्थान |
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सम्मेद शिखर (ललितकूट) |
| साथ में मोक्ष जाने वालों की
संख्या |
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एक हजार |
| योग निवृत्ति |
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एक मास पूर्व |
| मोक्ष के समय का आसन |
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खड्गासन |
| भगवान के समय चक्रवर्ती |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय बलदेव |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय नारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय प्रतिनारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय रुद्र |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय यक्ष |
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श्याम |
| भगवान के समय यक्षिणीयां |
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ज्वाला मालिनी |
| भगवान का विशेष पद |
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मण्डलीक राजा |
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